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मनु

तुम से किये वादों की परछाईयाँ, मेरे लिए राहें बनती चली गईं।
उन वादों की गिरहें बाँध ली थी मैंने, बस उन्हीं को थामकर इस ज़िंदगी की रस्सी पर संभलकर चलते हुए ही यहाँ तक पहुंची हूँ।
अपने इस प्यार को पूजा बनाने के लिए आहुति तो देनी ही थी।

खामोशियों की आवाजें,इतनी तेज़ क्यों होती हैं, मेरी तन्हाई के पास,तेरा ख्याल ठहरा क्यों होता है मेरी जिंदगी की किताब के हर पन्ने पर,क्यों लिखा है तेरा नाम नंबरों की तरह तेरे साथ बीता दिन सर्दियों के दिन सा,इतना सिकुड़ा हुआ क्यों होता है तेरे जाते ही वो ही दिन,गर्मी के दोपहर सा गहरा क्यों होता है मेरी रात के सिहराने पर,तेरी सिलवटें क्यों होती हैं,मेरी सुबहों पर तेरा,पहरा क्यों होता है बारिशों की चाप में तेरी,आवाज़ क्यों होती है,कोई भी वादी हो,उस पर तेरा,कोहरा क्यों होता है कहीं भी जाऊं,कहीं भी रहूँ,भीड़ का हर चेहरा,तेरा चेहरा क्यों होता है
-मनु

वादों की परछाईयाँमानसी और समीर की दास्ताँ

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परिचय

पूनम चन्द्रा 'मनु'-उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में जन्मी पूनम चन्द्रा 'मनु' ने गढ़वाल विश्वविद्यालय से एम ए (अंग्रेजी) की शिक्षा प्राप्त की। स्कूल के ज़माने से कविताएं लिखने की शुरुआत हुई और 2012 में 'जज़्बात' नाम से उनकी पहली किताब प्रकाशित हुई। 2017 में 'वादों की परछाइयां' नाम का उनका पहला उपन्यास प्रकाशित हुआ है। फेसबुक पेज 'jazbaat.manu' पर हमेशा वह अपने मित्रों से जुड़ी रहती हैं।
हाल में उन्होंने जज़्बात मनु नाम से यूट्यूब चैनल की शुरुआत की जहाँ आप उनके लिखे को सुन सकते हैं। वह वेबसाइट और ग्राफ़िक डिजाइनिंग के व्यवसाय से जुड़ी हुई हैं।

'मनु' कनाडा 'हिन्दी राइटर्स गिल्ड' कनाडा की सक्रिय सदस्या हैं और इस संस्था के प्रमोशन का काम देखती हैं।

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ज़िन्दगी जब बहती है तब पानी पर भी कदमो के निशाँ बनाती हुई चलती है, उम्र पर एक दौर ऐसा ज़रूर आता है, जिसमे ज़हन हर लम्हा परवाज़ भरता है कहीं ये नदी की तरह गुज़र जाता है, कहीं बर्फ की झील साजम जाता है, जहाँ ये झील है वहाँ रिसता रहता है, पिघलता रहता है न बहता है पूरी तरह और न थमता है, उन साँसों की तरह जो जाकर लौटती रहती हैं, ऐसे ही तुम्हारी ख़ामोशी में एक झील बनकर मौजूद हूँ मैं -मनु

वादों की परछाईयाँ

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वादों की परछाईयाँ किताब विमोचन कार्यक्रम

जज़्बात

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वो ख़्याल

जो तेरी

रहगुज़र से हो कर गुज़रे

बस

वही जज़्बात है

... बस

वही

जज़्बात है

-मनु

जज़्बात किताब विमोचन कार्यक्रम

दोस्त और मैं

जज़्बात

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